| अदभ्र विभ्र मद्भुञ्ज गमश्व सद्विनिर्मक्रम स्फुरत्कराल फालहव्य वाड्ज्वलते नमः | அத³ப்⁴ர விப்⁴ர மத்³பு⁴ஞ்ஜ க³மஶ்வ ஸத்³வினிர்மக்ரம ஸ்பு²ரத் கரால பா²ல ஹவ்ய வாட்³ ஜ்வலதே நம: |
| अदृश्याय | அத்³ருʼஶ்யாய |
| अधर्षणाय | அத⁴ர்ஷணாய |
| अथर्वशीर्ष्णे | அத²ர்வஶீர்ஷ்ணே |
| अधिरोहाय | அதி⁴ரோஹாய |
| अध्यात्मयोग निलयाय | அத்⁴யாத்மயோக³ நிலயாய |
| अधिष्ठानाय | அதி⁴ஷ்டா²னாய |
| अधर्मशत्रवे | அத⁴ர்ம ஶத்ரவே |
| अधराय | அத⁴ராய |
| अधोक्षजाय | அதோ⁴க்ஷஜாய |
| अधृताय | அத்⁴ருʼதாய |
| अध्वरराजाय | அத்⁴வரராஜாய |
| अध्यात्मानुगताय | அத்⁴யாத்மானுக³தாய |
| अथर्वलिङ्गाय | அத²ர்வலிங்கா³ய |
| अधर्मशत्रुरूपाय | அத⁴ர்ம ஶத்ரு ரூபாய |
| अथर्व ऋग्यजुःसाम तुरङ्गाय | அத²ர்வ ருʼக்³யஜு:ஸாம துரங்கா³ய |
| अधिशाय | அதி⁴ஶாய |
| अथर्वण वेदमन्त्रजनकदक्षिणवदनाय | அத²ர்வண வேத³மந்த்ர ஜனக த³க்ஷிண வத³னாய |
| अध्येत्रे | அத்⁴யேத்ரே |
| अध्यापकाय नमः -१६० | அத்⁴யாபகாய நம: -160 |
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