| महाप्रलयसम्स्थिताय नम: | மஹாப்ரலய ஸம்ஸ்தி²தாய நம: |
| महाकैलासनिलयाय | மஹாகைலாஸ நிலயாய |
| प्रज्ञानघनविग्रहाय | ப்ரஜ்ஞானக⁴ன விக்³ரஹாய |
| श्रीमते | ஶ்ரீமதே |
| व्याघ्रपुरावासाय | வ்யாக்⁴ர புராவாஸாய |
| भूक्तिमुक्तिप्रदायकाय | பூ⁴க்திமுக்தி ப்ரதா³யகாய |
| जगद्योनये | ஜக³த்³யோனயே |
| जगत्साक्षिणे | ஜக³த்ஸாக்ஷிணே |
| जगदीशाय | ஜக³தீ³ஶாய |
| जगन्मयाय | ஜக³ன்மயாய |
| जपाय | ஜபாய |
| जपपराय | ஜபபராய |
| जप्याय | ஜப்யாய |
| विध्यासिम्हासनप्रभवे | வித்⁴யா ஸிம்ஹாஸன ப்ரப⁴வே |
| तत्वानाम् प्रकृतये | தத்வானாம் ப்ரக்ருʼதயே |
| तत्वाय | தத்வாய |
| तत्वम्पदनिरूपिताय | தத்வம்பத³ நிரூபிதாய |
| दिक्कालाद्यनच्छिन्नाय | தி³க்காலாத்³யன ச்சி²ன்னாய |
| सहजानन्दसागराय | ஸஹஜானந்த³ ஸாக³ராய |
| प्रकृतये नम: ९०० | ப்ரக்ருʼதயே நம: 900 |
| प्राकृतातीताय नम : | ப்ராக்ருʼதாதீதாய நம : |
| विज्ञानैक रसाकृतये | விஜ்ஞானைக ரஸாக்ருʼதயே |
| नि:शङ्कमतिदूरस्थाय | நி:ஶங்கமதி தூ³ரஸ்தா²ய |
| चैत्यचेतनचिन्तनाय | சைத்யசேதன சிந்தனாய |
| तारकानाम् हृदन्तस्थाय | தாரகானாம் ஹ்ருʼத³ந்தஸ்தா²ய |
| तारकाय | தாரகாய |
| तारकान्तकाय | தாரகாந்தகாய |
| ध्यानैकप्रकटाय | த்⁴யானைக ப்ரகடாய |
| ध्येयाय | த்⁴யேயாய |
| ध्यानिने | த்⁴யானினே |
| ध्यानविभूषणाय | த்⁴யான விபூ⁴ஷணாய |
| परस्मै व्योम्ने | பரஸ்மை வ்யோம்னே |
| परस्मै ताम्ने | பரஸ்மை தாம்னே |
| परमात्मने | பரமாத்மனே |
| परस्मै पदाय | பரஸ்மை பதா³ய |
| पूर्णानन्दाय | பூர்ணானந்தா³ய |
| सदानन्दाय | ஸதா³னந்தா³ய |
| नादमध्यप्रतिष्ठिताय | நாத³மத்⁴ய ப்ரதிஷ்டி²தாய |
| प्रमाविपर्ययातीताय | ப்ரமா விபர்யயாதீதாய |
| प्रणताज्ञाननाशकाय नम: ९२० | ப்ரணதாஜ்ஞான நாஶகாய நம: 920 |
Wednesday, February 4, 2015
ஸ்ரீ தக்ஷிணா மூர்த்தி ஸஹஸ்ர நாமாவளி 0881_0920
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