| बाणार्चिताङ्ग्रये नम: | பா³ணார்சிதாங்க்³ரயே நம: |
| बहुदाय | ப³ஹுதா³ய |
| बालकेलिकुतूहलिने | பா³லகேலி குதூஹலினே |
| ब्रह्मरूपिणे | ப்³ரஹ்ம ரூபிணே |
| ब्रह्मपदाय | ப்³ரஹ்மபதா³ய |
| ब्रह्मविदे | ப்ரஹ்மவிதே |
| ब्राह्मणप्रियाय | ப்³ராஹ்மண ப்ரியாய |
| भ्रूक्षेपदत्तलक्ष्मीकाय | ப்⁴ரூக்ஷேபத³த்த லக்ஷ்மீகாய |
| भ्रूमध्यध्यानलक्षिताय | ப்⁴ரூமத்⁴ய த்⁴யான லக்ஷிதாய |
| यशस्कराय | யஶஸ்கராய |
| रत्नगर्भाय | ரத்னக³ர்பா⁴ய |
| महाराज्यसुखप्रदाय | மஹாராஜ்ய ஸுக²ப்ரதா³ய |
| शब्दब्रह्मणे | ஶப்³த³ ப்³ரஹ்மணே |
| शमप्राप्याय | ஶம ப்ராப்யாய |
| लाभकृते | லாப⁴க்ருʼதே |
| लोकविश्रुताय | லோக விஶ்ருதாய |
| शास्त्रे | ஶாஸ்த்ரே |
| शिवाद्रिनिलयाय | ஶிவாத்³ரி நிலயாய |
| शरण्याय | ஶரண்யாய |
| याजकप्रियाय नम: ९४० | யாஜக ப்ரியாய நம: 940 |
| सम्सारवैद्याय नम : | ஸம்ஸார வைத்³யாய நம : |
| सर्वज्ञाय | ஸர்வஜ்ஞாய |
| सभेषजविभेषजाय | ஸபே⁴ஷஜ விபே⁴ஷஜாய |
| मनोवाचोभिरग्राह्याय | மனோ வாசோபி⁴ரக்³ராஹ்யாய |
| पञ्चकोशविलक्षणाय | பஞ்சகோஶ விலக்ஷணாய |
| अवस्थात्रयनिर्मुक्ताय | அவஸ்தா²த்ரய நிர்முக்தாய |
| अवस्थासाक्षितुर्यकाय | அவஸ்தா²ஸாக்ஷி துர்யகாய |
| पञ्चभूतादिदूरस्थाय | பஞ்சபூ⁴தாதி³ தூ³ரஸ்தா²ய |
| प्रत्यगेकरसाय | ப்ரத்யகே³க ரஸாய |
| अव्ययाय | அவ்யயாய |
| षट्चक्रान्तर्गतोल्लासिने | ஷட் சக்ராந்தர்க³தோல்லாஸினே |
| षट्विकारविवर्जिताय | ஷட்விகார விவர்ஜிதாய |
| विज्ञानघनसम्पूर्णाय | விஜ்ஞானக⁴ன ஸம்பூர்ணாய |
| वीणावादनतत्पराय | வீணாவாத³ன தத்பராய |
| नीहाराकारगौराङ्गाय | நீஹாராகார கௌ³ராங்கா³ய |
| महालावण्यवारिधये | மஹாலாவண்ய வாரித⁴யே |
| पराभिचारशमनाय | பராபி⁴சா ரஶமனாய |
| षडध्वोपरिसंस्थिताय | ஷட³த்⁴வோபரி ஸம்ʼஸ்தி²தாய |
| सुषुम्नामार्गसञ्चारिणे | ஸுஷும்னா மார்க³ ஸஞ்சாரிணே |
| बिसतन्तुनिभाकृतये नम: ९६० | பி³ஸ தந்துனிபா⁴க்ருʼதயே நம: 960 |
Thursday, February 5, 2015
ஸ்ரீ தக்ஷிணா மூர்த்தி ஸஹஸ்ர நாமாவளி - 0921_0960
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