4361_4400
| पुष्पवस्तु स्वरूपाय | புஷ்பவஸ்து ஸ்வரூபாய |
| पुष्पवद्वह्निनयनाय | புஷ்பவத்³வஹ்னி நயனாய |
| पुष्पमालिने | புஷ்பமாலினே |
| पुष्पचाप विभञ्जकाय | புஷ்பசாப விப⁴ஞ்ஜகாய |
| पुष्पदन्तान्तकाय | புஷ்பத³ந்தாந்தகாய |
| पुष्पदन्त विनाशाय | புஷ்பத³ந்த வினாஶாய |
| पूषदन्त भिदे | பூஷத³ந்த பி⁴தே³ |
| पूषदन्तहृते | பூஷத³ந்த ஹ்ருʼதே |
| पृषदश्वाय | ப்ருʼஷத³ஶ்வாய |
| प्रसन्नेश्वराय | ப்ரஸன்னேஶ்வராய |
| प्रसादशीलाय | ப்ரஸாத³ஶீலாய |
| प्रसाद सुमुखाय | ப்ரஸாத³ ஸுமுகா²ய |
| प्रसादित निशाचराय | ப்ரஸாதி³த நிஶாசராய |
| प्रसाद गोचरीकृत सुरसंघाय | ப்ரஸாத³ கோ³சரீக்ருʼத ஸுரஸங்கா⁴ய |
| प्रसवित्रे | ப்ரஸவித்ரே |
| प्रस्रवणाचलवासाय | ப்ரஸ்ரவணாசல வாஸாய |
| प्रस्रवणप्रियाय | ப்ரஸ்ரவண ப்ரியாய |
| प्रसारिणीप्रायजटालताय | ப்ரஸாரிணீப்ராய ஜடாலதாய |
| प्रसृतधृत विषभक्षकाय | ப்ரஸ்ருʼதத்⁴ருʼத விஷப⁴க்ஷகாய |
| प्रसृतीकृत सागराय नमः – ४३८० | ப்ரஸ்ருʼதீ க்ருʼத ஸாக³ராய நம: – 4380 |
| प्रसन्न हृदयाय नमः | ப்ரஸன்ன ஹ்ருʼத³யாய நம: |
| प्रस्मृतीकृत भक्तापराधाय | ப்ரஸ்ம்ருʼதீ க்ருʼத ப⁴க்தா பராதா⁴ய |
| प्रसाधित निजशरीराय | ப்ரஸாதி⁴த நிஜஶரீராய |
| प्रसारीत वश्यलोकाय | ப்ரஸாரீத வஶ்யலோகாய |
| प्रसितजन शङ्कराय | ப்ரஸிதஜன ஶங்கராய |
| प्रस्थित क्रोधाय | ப்ரஸ்தி²த க்ரோதா⁴ய |
| प्रस्तुताकाराय | ப்ரஸ்துதாகாராய |
| प्रसोष्यन्तीपालकाय | ப்ரஸோஷ்யந்தீ பாலகாய |
| प्रसूतिकराय | ப்ரஸூதி கராய |
| प्रसूतिजनकाय | ப்ரஸூதி ஜனகாய |
| प्रसूतरक्षणतत्पराय | ப்ரஸூத ரக்ஷண தத்பராய |
| प्रसूजनयितृरूपाय | ப்ரஸூ ஜனயித்ருʼ ரூபாய |
| प्रस्तोतृगीताय | ப்ரஸ்தோத்ருʼ கீ³தாய |
| पुस्तकालन्कृतहस्ताय | புஸ்தகாலன்க்ருʼத ஹஸ்தாய |
| प्रसृतकीर्तये | ப்ரஸ்ருʼத கீர்தயே |
| प्रसरप्रदाय | ப்ரஸர ப்ரதா³ய |
| प्रसरशूराय | ப்ரஸரஶூராய |
| प्रसरनिरताय | ப்ரஸரனிரதாய |
| प्रसरवृषभवाहाय | ப்ரஸர வ்ருʼஷப⁴ வாஹாய |
| प्रसरशायिने – ४४०० | ப்ரஸரஶாயினே – 4400 |
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